ब्राह्मण और नेवला (The Brahmin and The Mongoose story in hindi) 2024

ब्राह्मण और नेवला (The Brahmin and The Mongoose) – best moral story for kids (class 1 to 5) in hindi

देवशर्मा का परिवार:-बहुत समय पहले की यह बात है। एक छोटा सा गांव था। गांव में देव शर्मा नाम का एक ब्राह्मण और देव शर्मा की पत्नी राधा एक घर में रहते थे। राधा और देव शर्मा को एक सुंदर बेटा था। बेटे के जन्म से सभी बहुत खुश थे। बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ तो देव शर्मा और राधा ने सोचा कि एक ऐसा प्राणी हम घर में रखे जो बच्चे के साथ खेल भी सके और बच्चे का ध्यान रख सके।

 बहुत जगह पर पूछताछ करने के बाद देव शर्मा को एक नेवला मिला और इसी नेवले को रखने का दोनों ने सोचा। अब ब्राह्मण पति पत्नी नेवले को बहुत ही प्यार से बड़ा करने लगे।

ब्राह्मण और नेवला (The Brahmin and The Mongoose story in hindi) 2024

बच्चे को छोडकर बाहर जाना:

 एक दिन ब्राह्मण और उसकी पत्नी राधा को एक साथ बाहर जाना था। दोनों को लगा छोटे से बच्चे को अकेला कैसे छोड़ कर जाए। ब्राह्मण ने नेवले को कहा,”तुम मेरे बेटे के पास ही रहना। मेरे बेटे को अकेला छोड़कर कहीं मत जाना। मेरे बेटे को कुछ ना हो उसका ध्यान रखना। हम थोड़ी ही देर में वापस आते हैं ।

अब नेवले को और बच्चे को घर में अकेला छोड़कर दोनों पति-पत्नी बाहर चले जाते हैं पति-पत्नी के जाने के बाद तुरंत ही एक साप घर में घुस जाता है और धीरे-धीरे सरकते हुए बालक के झूले के पास जाता है।साप तो आगे ही बढ़ रहा था। 

नेवले की वफादारी:

सांप को बालक के पास जाता देखकर नेवले ने तुरंत ही साप पर हमला किया। दोनो की लडाई मे आखिर नेवले ने सांप को मार डाला। नेवले को बहुत ही खुशी हुई कि उसने अपने मालिक के बेटे को बचा लिया। यह घटना के समाप्त होने के बाद ब्राह्मण पति-पत्नी दोनों वापस आते हैं। नेवला तो राह देख रहा था कि मैंने बच्चे को बचा लिया तो मुझे शाबाशी मिलेगी। 

राधा का सोचे बिना कार्य:

 जैसे ही ब्राह्मण की पत्नी आती है तो दूर से ही नेवले को दरवाजे के पास देखती है। जब पास में आकर देखा तो उसने नेवले के मुंह में खून लगा देखा। यह देखकर वह बहुत ही अचंभित हो गई। राधा को लगा की नेवले ने मेरे बेटे को तो नहीं मार दिया, क्योंकि इतना खून कहां से आएगा ।

राधा कहती है, “अरे! भगवान इस नेवले ने तो मेरे पुत्र को मार दिया ।अब मैं इसको बहुत ही बड़ी सजा करूंगी। इतने गुस्से में ही राधा ने नेवले पर पास में रखा पानी का घड़ा फेंक दिया। पानी भरा हुआ घड़ा अपने ऊपर गिरने के बाद नेवला तुरंत ही मर जाता है।

राधा को पछतावा हुआ:

 अब राधा दरवाजे से थोड़ा आगे गई तो उसके पैर के नीचे जमीन ही खिसक गई थी। क्योंकि राधा का बेटा झूले में खेल रहा था और झूले के पास सांप मरा हुआ पड़ा था।

 अभी राधा को सब बात समझ में आती है कि नेवले ने मेरे पुत्र का जीव बचाया है। अपनी गलती का एहसास हुआ और राधा बहुत ही दुखी होती है और मन में ही बोलती है ,”अरे! भगवान मैं क्या कर दिया यह नेवले ने तो मेरे बच्चे की जान बचाई थी ।मैंने बिना सोचे समझे नेवले को ही मार दिया।

 ब्राह्मण की पत्नी राधा को समझ में आया वह बहुत देर से समझ में आया। क्योंकि अब तक नेवले की जान चली गई थी और राधा को बहुत ही पस्तवा हुआ और  दुखी हो रही थी ।

कहानी से सीख:

हमें कभी भी बिना सोचे समझे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारी थोड़ी ही चूक से कोई बड़ी नुकसानी हमें ही भुगतान पड़ती है। कोई भी कारण हो कोई भी बात हो पहले उस पर सोचना और समझना चाहिए। बात को सोचना चाहिए फिर ही अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए ।

क्योंकि कुछ भी गलत करने से और उसके बाद उसका पछतावा करने से कुछ हाथ नहीं लगता। पहले ही उसे बात का हमें ध्यान रखना चाहिए और बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। वरना राधा की तरह हमें भी बाद में सिर्फ पछतावा ही होगा।

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