तीन मछलियों की कहानी (three fishes story in hindi) 2024

बहुत समय पहले की बात है। एक तालाब था जिसमें तीन मछलियां रहती थी- जिसका नाम अनागत विधाता, प्रत्युन्न्मति और यदभविश्य था। और भी कहीं मछलियां इस तालाब में रहती थी।

 एक दिन कुछ मछुआरे तालाब के पास निकले। एक मछुआरे ने कहा ,”यह तालाब में बहुत ही बडी मछलियां दिख रही है।हम लोग कल ही सुबह यहां आकर सभी मछलियों को पकड़ लेंगे।” सभी मछुआरे हां हां करने लगे और समझ गए। 

पहली मछली का सजाव:

मछुआरे की बात सुनकर अनागतविधाता नाम की मछली ने कहा,” तालाब की सभी मछलियां यहां आओ मैं कुछ कहना चाहती हूं, आप सब ने मछुआरे की बात तो सुनी होगी। सभी मछुआरे कल सुबह मे आकर हम लोगों को पकड़ने की योजना बना रहे हैं ।चलो हम सब छोटे नहर के रास्ते से दूसरे नजदीक के तालाब में चल जाए। शेख बाज मक्खी की कहानी

तीन मछलियों की कहानी (three fishes story in hindi) 2024

जहां यह मछुआरों का हमें कोई ड़र नहीं रहेगा।” जब सामने ड़र आता है तब केवल मूर्ख लोग ही वहीं पर रहते हैं। यानी कि ड़र का थोड़ा भी अंदाजा लगने के बाद समझदार लोग वह जगह छोड़कर वहां से आगे बढ़ जाते हैं।

प्रत्यून्न्मति नाम की मछली और उसके साथ कई मछलियां मान गई कि हम दूसरी जगह चले जाते हैं।

दुसरी मछलियो का विरोध:

हालांकि यदभविष्य इस सोच के साथ संबंध नहीं थी। मतलब की यह मछली नहीं चाहती थी कि वह सब तालाब छोड़कर यहां से चले जाए।

 वह मछली बोल भी रही है दलील भी कर रही है कि ,”हम सब यहां से क्यों तालाब छोड़कर चले जाए। इस तालाब में तो हमारे पूर्वज मछलिया रहती थी।कई सालो से हम इसी तालाब में रहते हैं। यह तालाब भी हमारा घर है। मरना तो हमें कभी भी है। कभी कोई भी समय मरना है। इस तालाब में भी मर सकते हैं नए तालाब में भी मर सकते हैं।

हमारे हाथ में कुछ नहीं है। सभी सिर्फ ईश्वर के हाथ में है। ईश्वर जिसकी रक्षा करेंगे उसको कोई मार नहीं सकता और ईश्वर जिसके साथ नहीं रहेंगे जिसका साथ छोड़ देंगे उसको कोई बचा नहीं सकता। इसके लिए यहां से जाना सिर्फ हमारी मूर्खता होगी।

दुसरे दिन मछवारो का आना:

तालाब की कितनी मछलियां थी पर यदभविष्य नाम की मछली को कोई समझा नहीं सका। कितनी सारी मछलियां तालाब छोड़कर तुरंत ही वहां से चली गई।दूसरे ही दिन सुबह को मछुआरे वहीं पर आए तालाब के पास आकर यदभविष्य मछली के साथ सभी मछलियों को पकड़ लिया। अगर सभी मछलियां पहली मछली की बात मान जाती तो सभी शायद बच सकती थी।

सीख: कोई लोग जब कुछ बात हमारे सामने रखें तो उस बात को समझने का हमें प्रयत्न करना चाहिए ना की सिर्फ विरोध करके हमें परेशानियां में फंसना। कभी कोई बात ऐसी होती है जिसमें हमारी अक्ल ना चले, हमारी बुद्धि ना चले तो हमें किसी दूसरे की बात को मानकर आगे बढ़ना चाहिए उस में ही समझदारी है।

 वरना यह तालाब की मछलियों की तरह मछुआरे के हाथों में फंसकर हमारा बुरा हम खुद कर सकते हैं और हमारा विनाश भी हमारे ही हाथों में है। एक example देना चाहती हूं आपके साथ में आपके घर में सभी लोग रहते हैं .

अगर आपकी कहीं गलती हो कोई आपको बोले कि यहां पर आपकी गलती है तो उसको अच्छे से सुनना चाहिए ना कि सिर्फ विरोध भाव प्रकट करना चाहिए। किसी की बात अच्छे से सुनेंगे तो हमारी जो समस्या है वह हम काफी हद तक दूर कर सकते हैं।

और ज्यादा कहानियाँ पढ़ें – स्वामी विवेकानंद के बचपन की कहानी , नागराज और चींटियों की कहानी

Leave a Comment