बेवकुफ लोमड़ी (Foolish Fox story in hindi) 2024

एक बहुत बड़ा जंगल था। जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। पूरा दिन वह अलग-अलग आवाज करके सबको परेशान करते थे लोमड़ी की आवाज बहुत बेसुरी थी। इसलिए दूसरी लोमड़ियों ने उसका नाम चंदरव रखा था।

एक दिन इस लोमड़ी को बहुत ही भूख लगती है और खाने की शोध में इधर-उधर भटकने लगती है। भटकते- भटकते एक शहर में घुस गई।

लोमड़ी आई शहर :

 शहर में तो कुछ अलग-अलग जगह से कुत्ते आकर भोकने लगे। जिसके दांत भी बहुत डरावने थे। लोमड़ी  को देखकर उसको काटने लगे। लोमड़ी वहां से जान बचाकर भाग गए।

बेवकुफ लोमड़ी (Foolish Fox story in hindi) 2024

सामने ही धोबी का घर था। लोमड़ी उसमें घुस गई ।घर में छोटा सा रंगीन पानी भरा हुआ एक बर्तन था। लोमड़ी बर्तन में कूद पड़ी ।लोमड़ी जैसे ही वह बर्तन से बाहर निकली तो भूरे रंग की हो गई। कुत्तों ने भूरे रंग की  लोमड़ी को देखा और पहचान नहीं पाए।

 तब कुत्ते वहां से निराश होकर चले गए और लोमड़ी भी जंगल में भाग गई यह भूरा रंग बहुत ही पक्का होता है,आसानी से निकल नहीं सकता। एक कहावत है ,”मूर्ख, दारु पीने वाला और भूरा रंग एक बार पकड़ ले तो फिर छोड़े नहीं।”

 जंगल के सभी प्राणियों ने लोमड़ी का यह रंग देखा तो सभी प्राणी भी समस्या में आ गए। सबने सोचा कि यह लोमड़ी को क्या हुआ है? इसका रंग क्यों बदल गया है? कुछ रोग तो नहीं हो गया ना? हमें इससे बचना चाहिए।

लोमड़ी की चालाकी:

 मगर यह लोमड़ी बहुत बेवकुफ थी। उसने अपने भूरे रंग का लाभ उठाया और सभी पशुओं को कहा ,”मुझे देखकर डरो मत ,भागो पर मत ,भगवान ने मुझे राजा बना दिया है। मुझे आप सभी का अच्छा करना है।

जंगल में बहुत ही गलत काम हो रहे हैं। मैं सब ठीक कर दूंगा ।तीनों लोकों में मेरा नाम चलता है। मैं आपका रक्षण करूंगा ।सब मेरे कहे में चलना और खुश रहना।”

सभी प्राणियों ने इसकी बात मान ली। शेर भी राजा होने के बावजूद इसकी बात मान लेता है। सब ने सर झुकाया ।सब लोमड़ी की बात मानने लगे।

 शेर को मंत्री बना दिया जो हमेशा लोमड़ी को सलाह देता था ।बाघ उसके लिए बिछौना बिछा देता था। सभी प्राणी हुक्म मानने लगे। दूसरी लोमड़ी या जो उसकी बात नहीं सुनती थी तो शेर की मदद लेकर सभी लोमड़ियों को जंगल से बाहर निकाल दिया।

लोमड़ी की आदत:

अभी बात यह हुई कि शेर और बाघ शिकार करके आते और यह बेवकुफ लोमड़ी को देते।लोमड़ी बैठे-बैठे अपना खाना खाती थी।

एक दिन अचानक यह हुआ कि सभा चल रही थी और दूर से आवाज आई।जिसमें लोमड़िया अपने झुंड में आवाज कर रही थी ।यह बेवकुफ लोमड़ी ने भी यह सुना वह भी आनंद से खुशी से झूमने लगी।वह भूल गई ,कि वह कहां है? क्या है? सब कुछ भूल गई और अपना आवाज करने लगी। सभी पशु प्राणियों को बहुत ही अचंभा लगा।

 सब ने यह लोमड़ी की आवाज सुना और चौंक गए सबको पता चल गया कि यह तो दगेबाज है। सबके सामने सच्चाई आ गई। शेर और बाघ भी शर्मिंदा हो गए की अभी तक एक लोमड़ी की सेवा कर रहे थे। फिर गुस्से से उसके सामने देखने लगे और दोनों ने तय किया कि यह दगा करने वाले को सबक सिखाना पड़ेगा। लोमड़ी वहां से भाग नही शकी,शेर और बाघ ने मिलकर लोमड़ी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।

कहानी की सिख :

 कितने लोग बहुत ही लालची किस्म के होते हैं। लालच को लेकर वह अपने प्रिय जनों को छोड़ देते हैं और पराइयों को अपना बना लेते हैं। परायों को अपना बनाने की वजह से लोग यह मस्त लोमड़ी की तरह मरते हैं ।

हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि हमारा स्वभाव जैसा भी हो हमें हम उसको बदल नहीं सकते अगर हम यह दगा करेंगे तो लोग जब पता चलेगा तो लोग हमें नहीं छोड़ेंगे तो हमें अपनी अच्छा योग के साथ ही रहना होगा।

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